नई दिल्ली। Pegasus, इस समय ये शब्द खूब चर्चा में है। दरअसल एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत की मोदी सरकार ने कई बड़े राजनेताओं के फोन टैप किए। दावे के मुताबिक, जिनके फोन टैप किए गए उनमें राहुल गांधी, प्रशांत किशोर, ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी सहित करीब 300 लोगों के नाम शामिल हैं। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद Pegasus (पेगासस) का नाम सामने आया। आइए जानते हैं आखिर Pegasus क्या है?
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Pegasus क्या है?
पेगासस (Pegasus) एक प्रकार का स्पाइवेयर सॉफ्टवेयर है, जिससे किसी के फोन की सभी एक्टीविटीज को ट्रैक किया जा सकता है। यह सॉफ्टवेयर सबसे पहली बार साल 2016 में चर्चा में आया था। उस समय इसके जरिए एक लिंक यूएई के मानवाधिकार कार्यकर्ता अहमद मंसूर को अपने फोन पर टेक्स्ट मैसेज के रूप में मिला था। इसके बाद उस मैसेज को उन्होंने सिटीजन लैब के रिसर्चर को भेज था। फिर जांच के बाद इसे एनएसओ ग्रुप से जुड़ा हुआ बताया गया।
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बता दें कि NSO ग्रुप इजरायल की कंपनी है, जो Pegasus (पेगासस) सॉफ्टवेयर बनाती है। जानकारी के मुताबिक, Pegasus साल 2016 से अब तक काफी ज्यादा डेवलप हो चुका है। इसका मतलब है कि अब इसको किसी भी टारगेट यूजर के फोन में किसी लिंक या मैसेज पर क्लिक कराए बिना ही खूफिया तरीके से इंस्टॉल किया जा सकता है। ऐसे में इसका पता लगा पाना या इसे रोकना बेहद मुश्किल काम है।
Pegasus के अन्य नाम
Pegasus स्पाइवेयर को Q Suite (क्यू सूट) और Trident (ट्राइडेंट) के नाम से भी जाना जाता है। यह स्पाइवेयर आईओएस फोन में भी घुसपैठ कर सकता है। यही कारण है कि इसे अब तक के उपलब्ध सबसे रिफाइंड प्रॉडक्ट्स में से एक माना जाता है।
NSO ग्रुप ने इसको लेकर अपनी ऑफिशियल वेबसाइट पर लिखा है कि वह Pegasus स्पाइवेयर का निर्माण सरकारी कंपनियों की मदद करने, अपराध और टेररिज्म को रोकने और उसकी जांच में मदद करने के लिए करता है।