अगर किसी व्यक्ति को अपने जीवन के संघर्षों को पछाड़ते हुए आगे निकलने की चाह है तो वह मिल्खा सिंह को अपना आदर्श जरूर मानता होगा। दरअसल मिल्खा सिंह का जीवन संघर्षों से घिरा रहा है, इस बात का अंदाजा उनकी सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है जिसमें उन्होंने कहा था कि फिल्म ‘भाग मिल्खा भाग’ में उनके जीवन के संघर्षों का 5 फीसदी हिस्सा भी शामिल नहीं है। आइए आज जानते हैं ऐसे प्रभावशाली शख्स मिल्खा सिंह का जीवन परिचय (Milkha Singh Biography in Hindi) …

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Milkha Singh Biography in Hindi – मिल्खा सिंह का जीवन परिचय
मिल्खा सिंह भारत के महान एथलीट थे। मिल्खा सिंह के जन्म को लेकर कई भ्रांतियां हैं। दरअसल पाकिस्तान के कई अभिलेखों के मुताबिक, मिल्खा सिंह का जन्म 20 नवंबर 1929 को अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत में हुआ था। वहीं कई अन्य रिपोर्ट्स में उनका जन्म 8 अक्टूबर 1935 को एक राठौड़ राजपूत सिख परिवार में हुआ बताया जाता है।
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मिल्खा सिंह का बचपन – Milkha Singh Biography in Hindi
1947 में भारत के बंटवारे के दौरान हुए कत्लेआम में मिल्खा सिंह ने अपने माता-पिता को खो दिया था। इसके बाद वह शरणार्थी बनकर ट्रेन द्वारा पाकिस्तान से भारत आ गए थे। इस तरह के भयानक बचपन के बाद भी उन्होंने कभी भी जिंदगी से हार नहीं मानी, और अपने जीवन में कुछ कर गुजरने की ठान ली।
मिल्खा सिंह शरणार्थी शिविरों में रहे – Milkha Singh Biography in Hindi
पाकिस्तान से भारत आने के बाद वह दिल्ली में अपनी शादी-शुदा बहन के यहां कुछ दिन रहे। इसके साथ ही वह दिल्ली में ही कई शरणार्थी शिविरों में भी रहे। मिल्खा सिंह ने दिल्ली के शाहदरा में पुर्नस्थापित बस्ती में भी कुछ दिन गुजारे। अपने माता-पिता के साथ पाकिस्तान में हुए उस भयानक हादसे का मिल्खा सिंह के जीवन पर बेहद गहरा प्रभाव पड़ा।
मिल्खा सिंह भारतीय सेना में हुए शामिल – Milkha Singh Biography in Hindi
अपने भाई मलखान की सलाह के बाद मिल्खा सिंह ने भारतीय सेना में शामिल होने की ठान ली। तीन बार किए गए प्रयास में वह असफल रहे, लेकिन चौथी बार के प्रयास में उन्हें सफलता हासिल हुई। भारतीय सेना में शामिल होने के बाद उन्होंने कड़ी मेहनत शुरू की। इसके बाद देश में हुई कई प्रतियोगिताओं में मिल्खा सिंह ने जीत हासिल की।
उनके इसी शानदार प्रदर्शन को देखते हुए भारत सरकार ने उनका नाम 1956 में हुए मेलबर्न ओलंपिक में 200 और 400 की रेस के लिए चुन लिया, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर का अनुभव न होने के कारण उन्हें सफलता हासिल नहीं हुई।
माना जाता है कि साल 1958 मिल्खा सिंह की जिंदगी का सबसे अच्छा साल रहा। इस साल उन्होंने कटक में हुए राष्ट्रीय खेलों में 200 और 400 मीटर की रेस में एक नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड बना दिया। इसके बाद उन्हें एशियन खेलों में 200 और 400 मीटर की रेस के लिए भारत का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला, इस मौके का मिल्खा सिंह ने बखूबी फायदा उठाया और देश को स्वर्ण पदक दिलाया।
1958 में ही ब्रिटिश राष्ट्रमंडल खेलों में 400 मीटर की प्रतियोगिता में भी स्वर्ण पदक हासिल कर मिल्खा सिंह ने अपने नाम का डंका बजा दिया। इस तरह से मिल्खा सिंह आजाद भारत के लिए राष्ट्रमंडल खेलों में व्यक्तिगत प्रतिस्पर्धा में स्वर्ण पदक हासिल करने वाले पहले खिलाड़ी बन गए।
मिल्खा सिंह ऐसे बने फ्लाइंग सिख – Milkha Singh Biography in Hindi
साल 1960 में मिल्खा सिंह के नाम का लोहा पाकिस्तान ने भी माना, जब मिल्खा सिंह ने पाकिस्तान में ही उनके सर्वश्रेष्ठ धावक अब्दुल ख़ालिक़ को हराकर चित कर दिया। पाकिस्तान में मिल्खा सिंह की रफ्तार देख हर व्यक्ति हैरान रह गया। इस दौरान ही पाकिस्तान के जनरल अयूब खान ने मिल्खा सिंह को ‘फ्लाइंग सिख’नाम दिया था।