ल 2016 में मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले के बाद अगर किसी चीज़ की सबसे ज्यादा चर्चा हुई तो वह जीएसटी है। फैसले के बाद भी इससे जुड़ी कई बातें लोगों को अभी भी समझ नहीं आती हैं। आज हम आपको आसान और सरल भाषा में बताएंगे कि आखिर जीएसटी क्या है? जीएसटी रजिस्ट्रेशन कैसे करें या कराएं? अब तक जीएसटी कानून में क्या-क्या बदलाव किए गए हैं? और इससे जुड़ी सभी अन्य जानकारियां हम में समझेंगे।
Table of Contents
जीएसटी क्या है? – What is GST in Hindi
GST Full Form | अंग्रेजी में | हिंदी में |
GST (जीएसटी) | Goods And Services Tax | माल एवं सेवा कर |
जीएसटी (GST) यानी Goods And Services Tax (माल एवं सेवा कर)। किसी भी सामान को खरीदने या फिर देश में किसी भी तरह की सेवा का लाभ उठाने के लिए आपको अब जीएसटी चुकाना पड़ता है। बता दें कि 1 जुलाई 2017 से पहले से आपको सामान खरीदने या सेवाओं का लाभ उठाने के लिए विभिन्न प्रकार के टैक्स देने पड़ते थे, जैसे Excise Duty, VAT, Entry Tax, Service Tax आदि। 1 जुलाई 2017 को केंद्र सरकार ने इन सभी टैक्स की जगह पर पूरे देश में एक टैक्स का नियम लागू किया था। यही वन नेशन, वन टैक्स ही जीएसटी है।
क्या थी पुरानी टैक्स प्रणाली? – Old Tax System in Hindi
पुरानी टैक्स प्रणाली के अनुसार, जब तक कोई वस्तु ग्राहक तक नहीं पहुंच जाती थी तब तक उस पर कई तरह के टैक्स लगाए जाते थे। जैसे अगर कोई वस्तु फैक्टरी से निकलती थी तो उस पर Excise Duty यानि उत्पाद शुल्क लगाया जाता था। इसके साथ ही कई सामानों पर additional excise duty (अतिरिक्त उत्पाद शुल्क) लगाया जाता था। यही नहीं अगर आपको एक राज्य से किसी दूसरे राज्य में सामान का लेन-देन करना है तो उस पर Entry Tax लगाया जाता था। यह सभी टैक्स कंपनियां सरकारों को देती थीं।
इसके साथ ही माल बेचते समय Sales Tax या VAT और कई वस्तुओं पर Purchase Tax भी लगाया जाता था। अगर कोई सामान Luxury है तो उस पर अलग से Luxury Tax वसूला जाता था। इसके साथ ही अगर किसी वस्तु को होटल या रेस्टोरेंट में पहुंचाना है तो उस पर भी Service Tax लगाया जाता था। यह सभी टैक्स आम जनता पर भी लागू होते थे।
जीएसटी रजिस्ट्रेशन के फायदे – Benefits of GST Registration in Hindi
जीएसटी सिस्टम आने से सरकार को तो इसका फायदा हुआ ही है इसके साथ ही आम जनता को भी जीएसटी से फायदे हुए हैं। आइए जानते हैं कैसे
सरकार को जीएसटी से फायदे
जीएसटी के आने से सरकार की Income में बढ़ोतरी हुई है, क्योंकि पहले की प्रणाली में बाजार का आधा हिस्सा अंडर ग्राउंड हो जाता था। जिसके चलते सामान के उत्पादन से लेकर खरीदी तक बहुत सी जगह काम छुप जाता था और सरकार को इसपर टैक्स वसूल नहीं हो पाता था।
पुराने सिस्टम के अनुसार, अलग-अलग राज्यों में एक ही सामान के अलग दाम होने के कारण कई लोग इसका फायदा उठाकर सामान की तस्करी किया करते थे। लेकिन जीएसटी आने के बाद ऐसे कामों और Black Market पर बहुत हद तक रोक लगी है।
वहीं जीएसटी आने से केंद्र और राज्य सरकारों के Tax Administration और Management का काम भी काफी कम हो चुका है। Registration और Tax भुगतान से जुड़ी सारी जानकारी ऑनलाइन होने से सरकार का बोझ कम हो गया है।
जीएसटी रजिस्ट्रेशन से Business में फायदे
पहले अलग-अलग राज्यों में सामान के अलग-अलग भाव होने से व्यापारियों को कई तरह की मुसीबतों का सामना करना पड़ता था। जीएसटी आने से देश में कारोबार की रफ्तार को तेज़ी मिली। इसके साथ ही कारोबार से जुड़ी सभी जानकारियां ऑनलाइन होने से व्यवसाय में लोगों को बड़ी राहत मिली। अब व्यापारियों को छोटे-छोटे कामों के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ते हैं। जीएसटी के लागू होने से छोटे व्यापारों में भी बढ़ोतरी देखने को मिली है। इसके लिए केंद्र और राज्य सरकारें रियायत भी देती हैं।
जीएसटी रजिस्ट्रेशन आम लोगों को फायदा
जीएसटी आने से सामान के टैक्स के ऊपर टैक्स से आम लोगों को फायदा मिला है। किसी भी वस्तु पर अनावश्यक बढ़ोतरी से लोगों को राहत मिली है। इसके साथ ही सरकार ने जरूरी चीजों पर टैक्स रेट भी कम रखे हैं, जिससे आम जनता और गरीब लोगो को इसका फायदा मिल सके। सरकार की आमदनी बढ़ने से देश के विकास में भी बढ़ोतरी हो रही है और इसका अधिकतर लाभ देश के लोगों को ही मिल रहा है।
जीएसटी रजिस्ट्रेशन के लिए जरूरी दस्तावेज – Important Documents for GST Registration in Hindi
जीएसटी रजिस्ट्रेशन कैसे करें या कराएं? और इसके लिए आपको किन-किन जरूरी दस्तावेजों की आवश्यकता पड़ेगी? आइए जानते हैं
कारोबार शुरू करने से पहले किसी भी व्यापारी को जीएसटी रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होता है और उसके लिए निम्नलिखित डॉक्यूमेंट जरूरी हैं-
- पैन कार्ड ऑफ प्रोपराइटर
- फोटो
- आधार कार्ड
- बैंक अकाउंट
- व्यापार के स्थान का पता
- अथॉरिटी लेटर
- डिजिटल सिग्नेचर
- बिजनेस रजिस्ट्रेशन का प्रूफ या इनकॉरपोरेशन सर्टिफिकेट
- पार्टनरशिप फर्म के लिए सभी पार्टनर्स की डिटेल
- कंपनी के लिए सभी डायरेक्टर्स की डिटेल
जीएसटी रजिस्ट्रेशन कैसे करें ? – How To Do GST Registration in Hindi
जीएसटी रजिस्ट्रेशन कैसे करें … इसके लिए सबसे पहले आपको जीएसटी की ऑफिसियल वेबसाइट gst.gov.in पर जाना है। यहां टैक्सपेयर्स (नार्मल/टीडीएस/टीसीएस) में रजिस्टर नाउ पर क्लिक करें। इसके बाद अपनी ई-मेल आईडी और मोबाईल नंबर दर्ज करें।
ईमेल आईडी और मोबाईल नंबर डालते ही आपको छ: अंकों का एक ओटीपी मिलेगा, जिसे दर्ज करते ही एक टीआरएन नंबर जनरेट होगा। इसके बाद आपको फिर से एक ओटीपी प्राप्त होगी और जैसे ही आप उसे डालेगें आपकी स्क्रीन पर एक फॉर्म खुल जायेगा। इस फॉर्म में आपको सभी सबंधित डाक्यूमेंट अटैच करने होंगे। इसके तुरंत बाद ही एक न्यू रजिस्ट्रेशन का फॉर्म खुलेगा, जिसमें एप्लीकेशन टाइप, ड्यू डेट ऑफ कम्पलीट, लास्ट मोडिफाइड प्रोफाइल दिया होगा।
जीएसटी रजिस्ट्रेशन कैसे करें : बिजनेस डिटेल्स
इसमें आपको अपने व्यापार से जुड़ी सभी जानकारियां देनी होंगी, जैसे ट्रेड का नाम, कांस्टीट्यूशन ऑफ बिजनेस, डिस्ट्रिक्ट की जानकारी, रिजन टू ओबटेन रजिस्ट्रेशन और किस डेट से व्यापार शुरू हुआ है।
जीएसटी रजिस्ट्रेशन कैसे करें : प्रमोटर या पार्टनर्स
इसमें आपको प्रमोटर या पार्टनर्स की पर्सनल डिटेल्स और एड्रेस भरना होता है और उससे जुड़े सभी डाक्यूमेंट अटैच करने होते हैं। लास्ट में आपको एक ऑप्शन दिखाई देता है, (आलसो ऑथोराइस सिग्नेटरी) अगर आप इस पर क्लिक करते हैं, तो नेक्स्ट पेज अपने आप फिल हो जाता है क्योंकि इसमें भी डिटेल्स सेम होती हैं।
जीएसटी रजिस्ट्रेशन कैसे करें : ऑथोराइस सिग्नेटरी
अगर ऑथोराइस सिग्नेटरी अलग है तो आपको उसकी सभी पर्सनल डिटेल्स और एड्रेस भरना होता है और उससे जुड़े सभी डाक्यूमेंट अटैच करने होते हैं।
जीएसटी रजिस्ट्रेशन कैसे करें : ऑथोराइज्ड रिप्रेजेंटेटिव
अगर कोई ऑथोराइज्ड रिप्रेजेंटेटिव है तो उसकी पूरी डिटेल्स भरनी होती हैं।
जीएसटी रजिस्ट्रेशन कैसे करें : प्रिंसिपल प्लेस ऑफ बिजनेस
यहां पर उस स्थान की डिटेल्स भरनी होंगी जहां आपको बिजनेस शुरू करना है। जैसे वहां का एड्रेस, कांटेक्ट नबंर, जगह किराये पर है या लीज पर उसकी भी जानकारी बतानी होगी और डॉक्यूमेंट अटैच करने होंगे। बिजनेस का नेचर क्या है, वह सिलेक्ट करना होगा। लास्ट में अगर बिजनेस के लिए कोई और जगह है तो वो फिल करनी होगी।
जीएसटी रजिस्ट्रेशन कैसे करें : गुड्स एंड सर्विसेज
अब आपको जिस समान का व्यापार या आप किस तरह की सर्विस दे रहे हैं, उसके बारे में जानकारी देनी होगी। इसके लिए आपको एचएसएन कोड (जीएसटी मे अलग से दिये हैं) को सिलेक्ट करना होगा।
जीएसटी रजिस्ट्रेशन कैसे करें : बैंक अकाउंट
इसमें आपको सबसे पहले ये डालना होगा कि आपके कितने बैंक खाते हैं। फिर आपको अपने बैंक अकाउंट से जुड़ी सभी जानकारी फिल करनी होंगी।
जीएसटी रजिस्ट्रेशन कैसे करें : स्टेट स्पेसिफिक इन्फोर्मेशन
अगर आपके पास कोई और फोन नंबर है तो उसे डालें।
जीएसटी रजिस्ट्रेशन कैसे करें : वेरीफिकेशन
यहां पर पता चलता है कि आपने सारी जानकारी सही फिल की है। ऑथोराइसड सिग्नेटरी को सिलेक्ट करके और प्लेस फिल करते ही ईवीसी लेकर आपको डीएससी के द्वारा इस फॉर्म को कम्पलीट करना होगा।
जीएसटी रजिस्ट्रेशन ना करने पर क्या होगा?
अगर कोई व्यापारी बिना जीएसटी रजिस्ट्रेशन के बिजनेस करता है तो–
- टैक्स का कम भुगतान करने पर टैक्स का दस प्रतिशत या फिर दस हजार रुपए की पेनल्टी देनी होगी।
- अगर बड़े पैमाने पर टैक्स की चोरी की है तो सौ प्रतिशत टैक्स चुकाना पड़ सकता है।
जीएसटी के प्रकार – Types of GST in Hindi
जीएसटी कर मूल रूप से 4 प्रकार के होते हैं-
- CGST
- SGST
- IGST
- UTGST
CGST (केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर)
CGST : जब कोई वस्तु एक ही राज्य में बेची या खरीदी जाती है तब केंद्रीय सरकार अपने हिस्से के रूप में वस्तु एवं सेवा कर व्यापारियों से वसूलती है। जीएसटी कानून आने से पिछली कर प्रणाली के सभी सरकारी करों (केंद्रीय उत्पाद शुल्क, सीमा शुल्क, सेवा कर, SAD, CST) आदि को हटाकर CGST लागू कर दिया गया।
SGST (राज्य माल और सेवा कर)
SGST : राज्य के अंदर ही उत्पाद और ब्रिक्री का कार्य किया जाता है तो राज्य सरकार इस पर अपना मुनाफा वसूल करती है। जीएसटी आने से पुराने सभी करों (एंट्री टैक्स, वैल्यू एडेड टैक्स, एंटरटेनमेंट टैक्स, स्टेट सेल्स टैक्स, सेस और अप्रेंटिस) को खत्म करके SGST लागू किया गया है।
IGST (एकीकृत माल और सेवा कर)
IGST : जब कोई सामान एक राज्य से दूसरे राज्य में भेजा जाता है तब केंद्र और राज्य दोनों सरकारें अपना-अपना कर वसूल करती हैं। ये पूरा कर केंद्र सरकार को देना होता है जिसके बाद केंद्र सरकार राज्य का हिस्सा उसे सर्विस पूरी होने के बाद देती है।
UTGST (केंद्रशासित प्रदेश माल और सेवा कर)
UTGST : किसी भी उत्पादन का लेन-देन देश के किसी भी केंद्र शासित प्रदेशों में होता है तब उस सामान पर केंद्रशासित प्रदेश माल और सेवा कर यानि UTGST लगाया जाता है।
GST काउंसिल
- GST काउंसिल में कुल 33 सदस्य हैं।
- 2 सदस्य ऑफ-सेंटर से हैं।
- 31 सदस्यों में से 29 राज्य और 3 केंद्र शासित प्रदेश से हैं।
काउंसिल में निम्नलिखित पद होते हैं
- केंद्रीय वित्त मंत्री (प्रमुख के रूप में)।
- केंद्रीय राज्य मंत्री राजस्व या वित्त के प्रभारी।
- हर राज्य की सरकार द्वारा नामित वित्त या अन्य मंत्रियों के प्रभारी।