शंख (Shankha) हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। सनातन धर्म में शंख का उपयोग आचार्यों और पुराहितों द्वारा पूजा के समय अवश्य किया जाता है। इसके साथ ही शंख को घर के मंदिरों में भी रखना बेहद शुभ माना जाता है।
हिंदू धर्मग्रंथों में शंख (Shankha) को भगवान विष्णु और माता महालक्ष्मी का बेहद प्रिय बताया गया है, इसी कारण माना जाता है कि जिस किसी भी घर में शंख होता है उस घर में भगवान विष्णु और माता महालक्ष्मी का वास होता है।
आइए आज जानते हैं शंख क्या है? शंख बजाने के नियम, शंख बजाने के फायदे और शंख बजाने के नुकसान क्या हैं? इसके साथ ही शंख बजाने का मंत्र क्या है?

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शंख क्या है?
शंख एक प्रकार के समुद्री जीव का खोल होता है। यह एक वायु वाद्ययंत्र है। भारतीय संस्कृति में शंख प्राचीनकाल से ही बेहद महत्वपूर्ण वाद्ययंत्रों में से एक माना जाता है। Also Read : सूर्य को जल चढ़ाने का मंत्र, नियम और सही समय | Surya Jal Arpan Mantra, Time
शंख की उत्पत्ति कहां से हुई
हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, शंख की उत्पत्ति समुद्र मंथन से हुई है। धर्मग्रंथों के अनुसार, देवताओं और असुरों के बीच हुए समुद्र मंथन में 14 रत्नों की प्राप्ति हुई थी। इसी समुद्र मंथन में 12 नंबर पर पांचजन्य शंख की उत्पत्ति हुई थी। इस शंख को भगवान विष्णु ने अपने हाथ में धारण कर लिया था।
वहीं विष्णु पुराण के अनुसार, माता महालक्ष्मी समुद्रराज की पुत्री हैं और शंख (Shankha) उनके सहोदर भाई हैं। यही कारण है कि जहां शंख होता है वहां माता महालक्ष्मी का वास होता है।
शंख के प्रकार
हिंदू धर्म में शंख (Shankha) के 10 प्रकार बेहद शुभ और महत्वपूर्ण बताए गए हैं। इनमें कामधेनु शंख, अन्नपूर्णा शंख, गणेश शंख, मोती शंख, विष्णु शंख, पौंड्र शंख, ऐरावत शंख, देवदत्त शंख, दक्षिणावर्ती शंख और मणिपुष्पक शंख शामिल हैं। इन सभी प्रकार के शंखों को लेकर मान्यता है कि ये जिस घर में भी होते हैं वहां सुख-समृद्धि का वास रहता है।
शंख बजाने के नियम (Shankha Bajaane ke Niyam)
1. हिंदू धर्म के अनुसार, जब भी कभी शंख बजाना हो तो सबसे पहले भगवान विष्णु का ध्यान करना चाहिए।
2. भगवान विष्णु का ध्यान करने के बाद शंख को एक साथ में केवल तीन बार ही बजाना चाहिए।
3. भगवान भोलेनाथ की पूजा के दौरान शंख नहीं बजाना चाहिए। इसके साथ ही शंख में जल भरकर शिवलिंग का अभिषेक नहीं करना चाहिए।
4. पूजाघर में रखे हुए शंख में हमेशा जल भरकर रखना चाहिए।
5. सूर्यास्त के बाद कभी भी शंख नहीं बजाना चाहिए।
6. पूजाघर में शंख को हमेशा ईशान कोण में ही रखना चाहिए।
शंख बजाने के फायदे (Shankha Bajaane ke Fayde)
शंख बजाने के फायदे बहुत सारे हैं। Also Read : सूर्य चालीसा | Surya Chalisa | सूर्य चालीसा का पाठ
1. कैल्शियम, फास्फोरस और गंधक जैसे कई तत्व शंख में पाए जाते हैं। यही कारण है कि इसमें रखा गया जल पीने से आंखों की रोशनी तेज होती है। वहीं शंख बजाने से मनुष्या की हड्डियां मजबूत होती हैं।
2. शंख बजाने के कारण किसी व्यक्ति की चिंता और तनाव भी कम हो सकता है।
3. शंख की ध्वनि ध्यान को बढ़ावा देती है।
4. श्वासनली को स्वस्थ रखने में भी शंख काफी हद तक मदद कर सकता है।
5. हिंदू धर्म के अनुसार, शंख घर की नकारात्मक ऊर्जा को भगाने में मदद करता है।
6. शंख को धार्मिक और आध्यात्मिक कार्यों में बेहद उपयोगी माना जाता है।
7. शंख आरतियों और पूजा-अर्चना में उपयोग किया जाता है जिससे आस-पास के माहौल में एक प्रकार की शांति का अनुभव होता है।
8. शंख की ध्वनि सुनने से मानसिक तनाव कम होता है और मन शांत रहता है।
9. शंख बजाने से प्राणवायु संचार में सुधार होता है। इससे श्वासनली को फायदा होता है।
10. शंख बजाने से सांस लेने की शक्ति को बढ़ती है और फेफड़ों को स्वस्थ रखने में मदद करता है।
11. वाद्ययंत्र के रूप में शंख का उपयोग संगीत में भी किया जाता है।
12. शंख (Shankha) की ध्वनि सुनने से दिल की धड़कन नियंत्रित होती है और रक्तचाप नियंत्रित रहता है।
13. इसकी ध्वनि मस्तिष्क को ताजगी और शक्ति प्रदान करती है।
14. ध्वनि का प्रसार वातावरण को पवित्र और शुद्ध बनाता है। इससे धार्मिक और आध्यात्मिक अनुष्ठानों में शांति मिलती है।
15. शंख बजाने से नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है और सकारात्मक ऊर्जा महसूस होती है।
16. शंख के बजने से समुद्री प्राणी, पक्षियों और जलीय प्राणियों की संख्या में वृद्धि होती है, जो पर्यावरण के लिए फायदेमंद होता है।
17. शंख ध्वनि को अविरलता से सुनने से मन एकाग्र होता है और मेधाशक्ति में सुधार होता है।
शंख बजाने के नुकसान (Shankha Bajaane ke nuksan)
1. शंख (Shankha) के बजने से आसपास के लोगों को असुविधा हो सकती है, विशेष रूप से श्रवण निषेध स्थलों में।
2. अधिक देर तक शंख बजाने से हो सकता है कि आपके हाथ, होंठ या गले में दर्द हो जाए।
3. शंख ध्वनि को उच्च स्तर पर सुनने से आपके कानों में कमजोरी हो सकती है या आपको सुनने में असुविधा हो सकती है।
4. यदि शंख ध्वनि अधिक समय तक लगातार बजती रहे, तो इससे मानसिक चिंता और तनाव बढ़ सकता है।
5. अगर किसी व्यक्ति को सांस लेने में समस्या आती है तो उस व्यक्ति को शंख नहीं बजाना चाहिए।
शंख पूजन या शंख बजाने का मंत्र (Shankha Bajaane ka mantra)
त्वं पुरा सागरोत्पन्नो विष्णुनां विधृत: करे। नमित: सर्वदेवैश्य पाञ्चजन्यं नमोस्तुते।।
नोट : कृपया ध्यान दें कि शंख (Shankha) बजाने के फायदे और नुकसान व्यक्तिगतता और परिस्थितियों पर निर्भर कर सकते हैं। शंख बजाने के प्रयोग को सावधानीपूर्वक और समझदारी से किया जाना चाहिए। यदि आपको कोई विशेष समस्या हो तो शंख बजाने से बचना चाहिए।
FAQ’s
शंख कितने प्रकार के होते हैं?
कामधेनु शंख, अन्नपूर्णा शंख, गणेश शंख, मोती शंख, विष्णु शंख, पौंड्र शंख, ऐरावत शंख, देवदत्त शंख, दक्षिणावर्ती शंख और मणिपुष्पक शंख हिंदू धर्म में सबसे मुख्य शंख माने जाते हैं।
दक्षिणावर्ती शंख कैसा होता है?
दक्षिणावर्ती शंख का मुख दाहिनी ओर खुला रहता है। इस शंख को कान में लगाने से एक ध्वनि सुनाई पड़ती है।
घर में शंख कैसे रखना चाहिए?
घर में एक साथ दो शंख नहीं रखने चाहिए। शंख को हमेशा ईशान कोण में रखना चाहिए।