आपने अक्सर अपने घर में दादी या नानी से ये बात जरूर सुनी होगी कि किसी भी मां को अपने बच्चे की तरफ पीठ करके सोना (Bacche Ki Taraf Peeth Karke Sona) नहीं चाहिए। दरअसल इस बात के पीछे एक पौराणिक कथा है, जिस कारण आज भी घर के बड़े-बुजुर्ग छोटे बच्चों की ओर पीठ करके सोने के लिए मना करते हैं। आइए आज जानते हैं क्या है वह पौराणिक कथा।

बच्चे की तरफ पीठ करके क्यों नहीं सोना चाहिए? – Bacche Ki Taraf Peeth Karke Sona
आप सभी ने देखा होगा कि भगवान गणेश का पूरा शरीर मनुष्य का है लेकिन उनका सिर एक हाथी का। पौराणिक कथाओं के अनुसार, गणेश जी के जन्म के समय उनका सिर एक मनुष्य की भांति ही था।
एक बार जब माता पार्वती स्नान करने के लिए गईं तो उन्होंने द्वार पर भगवान गणेश को खड़ा कर दिया था और उनसे कहा था किसी को भी भीतर मत आने देना। ठीक उसी समय भगवान शिव माता पार्वती से मिलने के लिए आ गए। भगवान गणेश ने माता पार्वती की आज्ञा का पालन करते हुए भगवान शिव को अंदर जाने से मना कर दिया। Also Read : शिव पंचाक्षर स्तोत्र | Shiv Panchakshar Stotra | शिव स्तुति | Shiv Stuti
काफी देर तक भगवान शिव और भगवान गणेश में वाद-विवाद चलता रहा। इसके बाद भगवान शिव ने क्रोध में आकर भगवान गणेश का सिर काट दिया। जब माता पार्वती स्नान कर वापस बाहर आईं तो वह भगवान शिव पर बेहद क्रोधित हुईं।
माता पार्वती के क्रोध को शांत करने के लिए भगवान शिव से अपने गणों को आदेश दिया कि जाओ देखो अगर कोई मां अपने बच्चे की तरफ पीठ करके सो रही हो तो उस बच्चे का सिर ले आना। भगवान शिव के गण पूरे संसार में घूम आए उन्हें कहीं भी कोई ऐसा बच्चा नहीं मिला जिसकी मां उसकी ओर पीठ करके सोई हुई हो।
अंत में जब गण वापस कैलाश पर्वत की ओर चल दिए तो रास्ते में उन्हें एक हथिनी और उसका बच्चा दिखाई दिया। हथिनी अपने बच्चे की ओर पीठ करके सो रही थी। भगवान शिव के गण हथिनी के उसी बच्चे का सिर लेकर कैलाश पर्वत आ गए। इसके बाद भगवान विष्णु ने हथिनी के बच्चे का सिर भगवान गणेश के सिर पर लगा दिया।
यह पौराणिक कथा आज भी गांव शहरों में बड़े बुजुर्गों द्वारा सुनने को मिल जाती है। इसी कथा के आधार पर आज भी बच्चे की तरफ सिर करके सोना (Bacche Ki Taraf Peeth Karke Sona) के लिए मना किया जाता है।